पटना में हुई भाजपा की बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि लोहार समाज के उत्थान के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन सवाल यह है — क्या वाकई ज़मीनी स्तर पर कोई बदलाव आया है?
बीजेपी ने वर्षों से लोहार समाज के साथ "मिलनसारिता" की बातें की हैं, लेकिन इस मेहनतकश समाज को आज भी अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। घोषणाओं और बैठकों से न कोई रोज़गार मिला, न शिक्षा, न सामाजिक न्याय।
लोहार समाज अब केवल वादों से बहलने वाला नहीं है। हमें सिर्फ योजनाओं की बातें नहीं चाहिए — हमें परिणाम चाहिए।
अब वक्त है कि लोहार समाज अपने हक़ की लड़ाई खुद लड़े और ऐसी राजनीति को जवाब दे जो केवल अख़बारों की हेडलाइन तक सीमित है।
हम पूछते हैं:
👉 कितने लोहार युवाओं को नौकरी मिली?
👉 कितने लोहार बच्चों को छात्रवृत्ति मिली?
👉 कितने लोहार कारीगरों को प्रशिक्षण या उपकरण दिए गए?
अगर जवाब सिर्फ “बैठकें” हैं, तो ये अपमान है — upliftment नहीं।
लोहार समाज जाग गया है — अब आवाज़ दबेगी नहीं।