देशभर में शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच जनतंत्र आवाज पार्टी ने कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन कर नीट (NEET) परीक्षा के पेपर लीक मामले को लेकर सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया। पार्टी नेताओं ने सरकार पर शिक्षा को महंगा और आम जनता की पहुंच से दूर करने का आरोप लगाया और निष्पक्ष एवं सुलभ शिक्षा प्रणाली की मांग की।
धरने के दौरान पार्टी के महासचिव कुंदन शर्मा और संरक्षक प्रेमचंद प्रसाद ने कहा कि शिक्षा देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार को इसे महंगा करने के बजाय सभी वर्गों के लिए सुलभ और पारदर्शी बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकना और परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज किशोर शर्मा ने सरकार की परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से देश में लगातार महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं। उन्होंने इसे शिक्षा व्यवस्था की गंभीर विफलता करार देते हुए इसकी गहराई से जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
धरने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन जिला अधिकारी (DM) को सौंपा गया। ज्ञापन में नीट परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने, पेपर लीक के दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने और शिक्षा को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने की मांग रखी गई। धरने का संचालन जिला महासचिव रजनीश कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र गुप्ता द्वारा दिया गया।
इस मौके पर दिनेश पंडित, लाल बाबू गुप्ता, प्रेमचंद प्रसाद, सुरेश कुमार, अमित कुमार, त्रिभुवन शर्मा, मुकेश शर्मा, अमरजीत शर्मा, रघुवर शर्मा, बिटेश्वर प्रसाद, राजामुनि देवी, सरिता देवी, अनिल कुमार शर्मा, ज्ञासुद्दीन, ऋषि कुमार गुप्ता, रघुनाथ शर्मा, पंकज कुमार, रीता देवी, देवकुमारी देवी, गणेश शर्मा, रामा शंकर शर्मा, उत्तम चंद शर्मा सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।
जनतंत्र आवाज पार्टी ने चेतावनी दी कि अगर सरकार जल्द ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं करती और पेपर लीक जैसी घटनाओं पर रोक नहीं लगाती, तो पार्टी बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी। पार्टी नेताओं ने कहा कि देश के युवाओं का भविष्य सुरक्षित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
जनतंत्र आवाज पार्टी ने इस धरने के माध्यम से सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि शिक्षा के अधिकार से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जब तक शिक्षा सस्ती, सुलभ और निष्पक्ष नहीं होगी, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।